हाल ही में वोटरलिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब सामने आया कि हजारों मतदाताओं के पते में मकान नंबर शून्य दर्ज है। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए और पारदर्शिता पर गंभीर आरोप लगाए। राहुल का कहना था कि मतदाता सूची में गड़बड़ी करके लोगों को मतदान से वंचित करने की साजिश रची जा रही है। इस पर चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब देते हुए तथ्यों के आधार पर सफाई दी।
राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए ऐसे बयान देना जनता को गुमराह करने जैसा है। आयोग ने याद दिलाया कि मतदाता सूची लगातार अपडेट होती रहती है और इसमें समय-समय पर सुधार भी किए जाते हैं। नागरिक चाहे तो अपना सही पता, आधार या अन्य प्रमाण देकर मकान नंबर अपडेट कर सकते हैं।
ज्ञानेश कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘2003 से पहले तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए कई लोग जो अलग-अलग जगहों पर चले गए, उनके नाम कई जगहों पर जोड़ दिए गए। आज एक वेबसाइट है, एक कंप्यूटर है, आप उसे सिलेक्ट करके हटा सकते हैं।
फर्जी मतदाता कहना अपमान
बिना प्रमाण किसी नागरिक को फर्जी मतदाता कहना सीधा अपमान है। यह न केवल उसकी ईमानदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि उसके लोकतांत्रिक अधिकारों का भी हनन करता है। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची बनाने की पारदर्शी व्यवस्था की है, जिसमें त्रुटियों को सुधारने का प्रावधान है। ऐसे में किसी मतदाता को झूठा या नकली कहना अनुचित और असंवैधानिक है। लोकतंत्र में हर वोटर का सम्मान होना चाहिए, तभी मतदान प्रणाली पर लोगों का विश्वास कायम रह सकता है।
मकान संख्या शून्य’ बताने के मुद्दे पर सीईसी ने कहा, ‘कई लोगों के पास घर नहीं है, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में भी है। जो पता दिया जाता है, वो वह जगह होती है जहां व्यक्ति रात में सोने आता है। कभी सड़क के किनारे, कभी पुल के नीचे। अगर ऐसे मतदाताओं को फर्जी मतदाता कहा जाता है।
शून्य हाउस नंबर
उन्होंने कहा कि शहरों और गांव अनधिकृत घरे हैं, जहां उनके पास नंबर नहीं है, चुनाव आयोग के निर्देश कहते हैं कि अगर इस देश में ऐसा कोई मतदाता है, तो चुनाव आयोग उसके साथ खड़ा है और उसे एक काल्पनिक नंबर देगा। सिर्फ इसलिए कि जब वह कंप्यूटर में इसे भरता है, तो उसे शून्य दिखाई देता है, तो इसका मतलब कि मतदाता नहीं है।
सीईसी ने क्या कहा?
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने कहा कि मतदाता सूची में जिन लोगों का मकान नंबर शून्य दर्ज है, उन्हें फर्जी मतदाता बताना गलत है। यह केवल एक तकनीकी प्रविष्टि है, जो तब की जाती है जब घर का सटीक नंबर उपलब्ध नहीं होता। उन्होंने साफ किया कि ऐसे मतदाता पूरी तरह वैध और सही पते वाले हैं। आयोग का उद्देश्य हर नागरिक को वोट देने का अधिकार सुनिश्चित करना है, इसलिए किसी को भी इस आधार पर संदेह के घेरे में नहीं लेना चाहिए।
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